काठमांडू के प्रतिष्ठित अलोफ्ट होटल में आयोजित एक गरिमामय समारोह में इस्पेक (ISPAC) की प्रथम अंतरराष्ट्रीय इकाई ‘पशुपतिनाथ चैप्टर’ का विधिवत शुभारंभ हुआ। यह आयोजन सामाजिक समरसता, सनातन संस्कृति और वैश्विक एकता के मूल्यों के पुनरुत्थान का प्रतीक बनकर उभरा।
समारोह की अध्यक्षता इस्पेक की चेयरपर्सन डॉ. हर्षा त्रिवेदी ने की। अपने प्रेरणादायक संबोधन में उन्होंने कहा, “सनातन संस्कृति में संकीर्णता का कोई स्थान नहीं है। यदि इसकी जड़ें मजबूत होंगी, तो मानवता और उसके समग्र विकास की नींव भी सुदृढ़ होगी।” डॉ. त्रिवेदी ने नव-निर्वाचित पदाधिकारियों को औपचारिक शपथ दिलाई और संगठनात्मक जिम्मेदारियों का वितरण किया।
नेपाल के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार एवं सांस्कृतिक ध्वजवाहक डॉ. गोविंद टंडन ने इस्पेक की पहल को नेपाल की सनातन विरासत के सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली कदम बताया। उन्होंने कहा कि नेपाल की धरती पर सनातन की गहरी जड़ें हैं, और ऐसी संस्थाएँ इन्हें विश्व स्तर पर प्रचारित करेंगी।
नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री श्री ओमप्रकाश शर्मा ने भारत-नेपाल के संबंधों को ‘राम-लक्ष्मण’ जैसे गहरे और विश्वासपूर्ण बताते हुए नेपाल को ‘धरा-धाम का श्रेष्ठ स्थान’ कहा। उन्होंने मारवाड़ी समाज की भूमिका को विशेष रूप से सराहा। मारवाड़ी सेवा समिति नेपाल के कार्यकारी अध्यक्ष श्री पवन अग्रवाल ने ‘परशुराम कुंड प्रकल्प’ के लिए काठमांडूवासियों से सहयोग का आह्वान किया।
विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय महामंत्री श्री पवन पारीक ने स्मरण कराया कि एक दशक पूर्व काठमांडू में ही संस्था की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी और आज के आयोजन का उत्साह देखकर यह विश्वास होता है कि अगली अंतरराष्ट्रीय बैठक भी यहीं संभव है। श्री सुशील ओझा ने भगवान परशुराम के आदर्शों तथा सामाजिक समरसता पर केंद्रित प्रभावशाली उद्बोधन प्रस्तुत किया।
समारोह में नव-निर्वाचित अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र शर्मा ने स्वागत भाषण दिया तथा आयोजन समन्वयक श्री रतन शर्मा ने आभार ज्ञापन किया।कार्यक्रम का कुशल संचालन विदुषी श्रीमती एकता व्यास द्वारा किया गया।
इस भव्य आयोजन में समाज के विभिन्न वर्गों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, जिसने इस पहल को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने की दिशा में मजबूती प्रदान की।